15.5.11

तमिल वीर श्री वराहनेरी वेंकटेश सुब्रमण्यम अईय्यर ( वी.वी. एस. अईय्यर )

              तमिल वीर श्री वराहनेरी वेंकटेश सुब्रमण्यम अईय्यर  ( वी.वी. एस. अईय्यर ) जी भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ तमिल लेखक भी थे ! उन्हें आधुनिक तमिल लोक कहानियों का जनक मन जाता है ! उन्होंने प्रमुख तमिल ग्रन्थ - कंबन की रामावातारम(Ramavatharam) और तिर्रुकुरल( Tirukkural )   का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया !
            श्री अईय्यर का जन्म २-अप्रैल-1881  को तिरुची / तिरुचिरापल्ली के समीप वरह्नेरी नमक स्थान पर एक ब्रह्मण परिवार में हुआ था !

                  1902  में मद्रास यूनिवर्सिटी से वकालत की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने तिरुची के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अपनी प्रेक्टिस शुरू कर दी ! 1906  में वह रंगून जाकर वकालत करने लगे और अगले ही वर्ष बेरिस्टर की शिक्षा प्राप्त करने के लिए लन्दन चले गए ! जहां उनका सम्पूर्ण जीवन बदल गया ! लन्दन में स्थित इण्डिया हॉउस नामाक होस्टल में उनकी भेंट महान क्रन्तिकारी श्री विनय दामोदर सावरकर जी से हुयी ! उनके प्रभाव से श्री अईय्यर के हृदय में राष्ट्र प्रेम का दीप जल उठा और वह असंख्य देशप्रेमी भारतीय युवकों की तरह बिना अपने भविष्य की चिंता किये स्वतंत्रता संग्राम के सक्रीय संघर्ष में कूद पड़े !

                 उनकी सक्रीय भूमिका को देखते हुए अंग्रेज सरकार ने 1910  में उन पर लन्दन और पेरिस में राष्ट्रविरोधी षड्यंत्र में भूमिका होने का आरोप लगा  कर वारंट जारी कर दिया ! गिरफ़्तारी से बचने के लिए श्री अईय्यर लन्दन से पेरिस होते हुए दिसंबर-1910  को एक मुस्लिम के वेश में पोंडिचेरी पहुँच गए ! उस समय पोंडिचेरी में फ़्रांसिसी सरकार का कब्ज़ा था ! वहां  श्री अईय्यर ने 10 वर्ष तक निर्वासित का जीवन बिताया ! पोंडिचेरी में ही उनकी भेंट श्री सुब्रमण्यम भारती और अरविन्द जैसे क्रांतिकारियों से हुयी !

              पोंडिचेरी में भी उन्होंने अपनी गतिविधियाँ जारी रखीं ! उन्होंनेतिरुनेलवेली के कलेक्टर आशे की हत्या की योजना बनायीं जिसे उनके छात्र विरंचिनाथान ने पूर्ण किया ! ! अंग्रेज कलेक्टर की हत्या अंग्रेज सरकार को सीधी चुनौती थी ! इसके बाद सितम्बर -1914 को एक जर्मन युद्धपोत ने मद्रास बंदरगाह पर हमला किया और बमबारी की ! इस घटना का दोष भी अंग्रेज सरकार ने पोंडिचेरी में निर्वासित क्रांतिकारियों पर लगाया और फ़्रांसिसी सरकार से श्री ईय्यर और उनके साथियों  को पोंडिचेरी से निकल कर अफ्रीका निर्वासित करने को कहा ! फलस्वरूप  फ़्रांसिसी सरकार ने भारतीय क्रांतिकारियों पर असंख्य झूठे आरोप लगा दिए किन्तु उन्हें सिद्ध नहीं कर सकी  !

             प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर श्री वापस मद्रास पहुंचे और देशभक्त नामक समाचारपत्र के संपादक बन गए किन्तु 1921  में उन्हें राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया ! जेल में ही उन्होंने A Study of Kamba Ramayana नामक पुस्तक की रचना की !
                  
विवादास्पद म्रत्यु
    3 -जून-1925  को पापनासम जलप्रपात (Papanasam फाल्स)  में डूब जाने से उनकी असामयिक म्रत्यु हो गयी यद्यपि यह विषय अभी तक विवादित और संदेहास्पद है !

                                     -माँ भारती के इस वीर सपूत को शत-शत नमन -